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(२३) रस वरसे पावस.गहघटा रे मो॥ उपजे ज्युं रंगचो ल॥३॥ का॥ अमचो स्वामी तुम शिर नामीप्रेम गुं रे ॥ मो० ॥ कयुं मुख वचनें एम ॥ तेमाटे स्वामी अंतरजामी नेगगुं रे ॥ मो० ॥पान धरो धरी प्रेम ॥ ॥ ४ ॥का० ॥ ससरो ने सासु नही कांहि फासु था वती रे ॥ मो० ॥ याव्या विना प्राणाधार ॥ पं जर तिहां वे जीव इहां नावथी रे॥ मो॥इणि परें राखे ने प्यार ॥ ५॥ का॥ तेमाटे तुमने कद्वं गुं प्रजुने घणु करी रे ॥ मो० ॥ दंपति थइ एक रंग। वेगा था वार मला सहचरी रे ॥ मो० ॥ व्यो सेना तुम संग ॥ ६ ॥ का॥ इणि परें सयणा मंत्री वयणां सांजली रे ॥मो० ॥ हरख्यो हरिबल ताम। कागल वांची मनमां माची मन रली रे ॥ मो० ॥ सेना सजि अनिराम ॥ ७ ॥ का ॥ तिहांथी मंत्री उन्यो गंत्री शीघ्रथी रे ॥ मो० ॥ आव्यो ते कुमरी पास ॥ तातनो मंत्री लख्यो यंत्री अग्रथी रे ॥ ॥ मो० ॥ वसंतसिरीयें नन्नास ॥ ७ ॥ का० ॥ म लवा कती कुमरी वूती नयणथी रे ॥ मो० ॥ हर्षनां प्रांस जोर ॥ जनकने ही परें मलियां नलि परें स यणथी रे॥ मो०॥ मंत्री कुमरी समोर ॥ ए ॥ का॥
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