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रनां, दिवां महोटां मंमाण ॥ जाणे स्वर्गपुरी वसी, आ वीने इस ठग ॥ ए ॥ वाड़ी महोलें मलपति, फुलि चिहुं दिशि वनराय ॥ जाणे वन नंदननी बहेनडी, या वसी इ ठाय ॥ १०॥ इणिपरें सेना मंत्रवी, देखत हर्षित होय || पेसारो पुरमें कस्यो, वेला शुन घडि जोय ॥ ११ ॥ नगरी सखरी जोवतां, धाव्या ते दरबार ॥ हरिबल नृपने जेटिया, उपनो हर्ष अपार ॥ १२ ॥ हरिबल सुरपति सारिखो, बेठो धरावी छत्र ॥ मंत्री पण प्रणिपत करी, दीधो नृप कर पत्र ॥ १३ ॥ ॥ ढाल प्रग्यारमी ॥
॥ शेत्रुंजानो वासी साहेब, माहारे दिल बस्यो रे ॥ मोरा साहेबा ॥ खादिजिन करूं रे जुहार ॥ ए देशी ॥ कागल देश हर्ष धरे चित्तनुं रे ॥ मोरा साहिबा ॥ ए तो विनवे मंत्री विशेष || तेडवा तुमने मुक्या अ म त रे ॥ मो० ॥ तुमचे ससरेजीयें लेख ॥ १ ॥ कागल० ॥ ए यांकणी ॥ निशिदिन तुमचो राखे म मचो मव्या तणो रे ॥ मो० ॥ तुम ससरोजी नूपाल ॥ दरिस दीजें पावन कीजें खांगलो रे ॥ मो॥ तुम ची सासुनो कपाल ॥ ॥ का० ॥ ससरो जमाई यानंद पाई एकठा रे || मो० ॥ बेसी करो रंग रोल ॥ नेह सुधा
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