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________________ (१६) कहे रे, आणी मन नन्नास ॥ संजारिश मुज जे घ डी रे, ते घडी ढुं तुज पास ॥॥ सू०॥एम वचन देई करी रे, ते सुर गयो निज थान ॥ मही पण निज मंदिरें रे, वलियो थर साव धान ॥णासू॥धीवर म नमें हरखियो रे, धन धन गुरुनु वचन्न ॥ फलि यो अनिग्रह माहरे रे, तो सुर दिन धन्य ॥ १० ॥ सू॥सागर देव पसायथी रे, ढुं थयो महोटो सनाथ ॥ आजथी जीव हणुं नही रे,जो ग्रही महोटी बाथ ॥ ११ ॥ सू० ॥ श्म करतां संध्या थई रे, याव्यो न यर नजीक ॥ पण निज मंदिर नारीनी रे, मनमें या पी बीक ॥१२॥ सू०॥ पेट जरा जडी नही रे, नांमंशे राम कुहाडजाइश जो खाली घरे रे, बेस शे लेई राड ॥ १३॥ सू० ॥ काली नागणनी परें रे, रोषे नरी ने चंग ॥डोकरडांने मारे घणुं रे, बोले ज्युं खोखर नंम ॥१४॥ सू०॥ मुखमाथी नोंता पडे रे, कोई बोलावे बोल ॥ वलगे वाघणनी परें रे, राखे नहि तस तोल ॥ १५ ॥ सू० ॥ दीवालीनो परोडी यो रे, दीसंती जाणे अलह ॥ आंगण आवे को मा नवी रे, देखी जाये गल ॥ १६॥ सू० ॥ कूडा बोली कर्कशा रे,दे वली अबतां आल ॥ गुण अवगुण जा Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003681
Book TitleHaribal Macchino Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1889
Total Pages294
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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