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________________ (१४५) ॥सा ॥ २६ ॥ हां०॥ आय उपाय करे घणा, टे की न लागे कोय ॥ मो० ॥ जेणें दीधी वेदना, दूर करेशे सोय ॥ मो० ॥ सा ॥ २७॥ हां ॥ जो जो करणी करमनी, नृप थयो ते असरात ॥मो० ॥ त्रीजा उन्नासनी ए कही, लब्धं चोथी ढाल ॥मो॥ ॥ सा० ॥॥ ॥दोहा॥ ॥ जाणा जोषी जाण जे, परबंधी कहे पाय ॥मु ख पोयां दूर रह्यां, जोर न चाल्यु काय ॥१॥ तिण समे मेहर मंत्रवी, फरि कीधो उपचार ॥ कोकशास्त्र तणे बलें, नृपने कस्यो करार ॥२॥ मेहरमंत्री जस लह्यो, नगरी विशाला मज ॥ वाह वाह सदु को क हे, मंत्री महोटो सकऊ ॥३॥ मेहर चिंते चित्तमें, नृपने न वली शान ॥ न वले ज्युं खटमासनी, पाध री पूंबडी श्वान ॥४॥ वली केताश्क दिन गया, पने करतां केलि ॥ वली नृप कामें व्यापियो, वसंत श्रीनी चढि वेलि ॥५॥ तिण अवसर नृप मंत्रीने, तेडाव्यो ते उष्ट ॥ ते पण आव्यो नृप कने, काल सेन ते कुष्ठ ॥ ६ ॥ प्रणमी नपने मंत्रवी, बेगे पासें मजीक ॥ नृप कहे मंत्री आगलें, सांजल मंत्री तीक। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003681
Book TitleHaribal Macchino Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1889
Total Pages294
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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