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________________ ( १४६ ) ॥ ७ ॥ प्यारी प्राण ते जे गइ, पिरसण यावि जिवा र ॥ तन मन सुध जुली गयो, मंत्री देखत वार ॥ ॥ ८ ॥ मन लाग्युं ते ऊपरें, जिम मन केतकी जंग ॥ तिम मंत्री तुं जाणजे, रह्यो मुऊ जिन तस संग ॥ ॥ लागी लगन ललना तणी, गुं कहुँ मंत्री तु ॥ लालच रहे मुफ तेहनी, सुण तुं मंत्री गुरू ॥ १० ॥ ते माटे मंत्री तुमें, कोइक करो विचार ॥ बल बल कल ते केलवी, मेलवो ते दो नार ॥ ११ ॥ मानिश . तुक उपगारडो, थाइश नही गुंण चोर ॥ जीवित सूधी ताहरी, ग्रहनिश राखिश होर ॥ १२ ॥ ॥ ढाल पांचमी ॥ ॥ थारे माथे पचरंगी पाग, सोनारो बोगलो ॥ मा रुजी ॥ ए देशी || हवे बोल्यो मंत्री ताम, कुटिल का लसेन ते ॥ साहेबजी ॥ तुमें सांननो स्वामी नाथ, 'प्रजाना पाल ते ॥ साहेबजी ॥ प्रभु गुं तुमें एहने ते डी, याघो गुण करो ॥ सा० ॥ निज घरनुं सघलुं सोंपी, यापोपुं गुं वरो ॥ सा० ॥ १ ॥ एतो गर्छनने जिम, गुरव रंगी देवो ॥ सा० ॥ तिम हरिबलने प्र मान, देइ जरा लेयवो ॥ सा० ॥ वलि गर्छन पासें शालि, नेजाव्यानी करो ॥ सा० ॥ ए तो पाइ दूध Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003681
Book TitleHaribal Macchino Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1889
Total Pages294
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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