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________________ (१०) रजोल ॥ २६ ॥ श्म कही नृपने प्रणमी, हरि बल उठीयो ल०॥ पण हवे नृपने मंत्रीने, जगदीश रूतीयो ॥ल ॥ त्रीजा नल्लासनी ढाल ए, त्रीजीपू री थई ॥ल ॥ लब्धि कहे नवि सांजलो, जे आगे नई॥ ॥२७॥ ॥दोहा॥ ॥हवे हरिबल घरे आवियो, बेटी नारी दोय ॥ यावतो दीगो नांदने, कती प्रगमे सोय ॥१॥निश जर बेग रंगमें, दंपति करे कल्लोल ॥ प्रेम सरोवर जीलतां, निगमे राति टकोल ॥२॥ हरिबल कहे प टनारीने, सांजल प्रिया मुफ वात ॥ लंका लाडी ने हणुं, ते नृप मागे लांच ॥३॥ पंच समदं मंत्रीय, माग्युं जोजन सार ॥ तव ढुं नृपने नोतरी, आव्यो बुं आगार ॥४॥ तव पटनारी कंतने, कहे पियु सां नल मुज ॥ एक वार नृप तेडतां, लाज वली नही तुज ॥ ५॥ नकटी देवी देवलें, सरड पूजारो जेम॥ लोक उखाणो जे कहे, प्रीतम जो तुमें तेम ॥ ६ ॥ वलि शी शक तुम धाइयो,प्रीतम बीजी वार ॥ ते ढुं इम जाणुं अg, शान ग तुम सार ॥ ७॥ देखी पे खी कूपमें, दीपक ले पडो हब ॥ नृप मंत्री मीतुं Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003681
Book TitleHaribal Macchino Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1889
Total Pages294
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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