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________________ (११३) व तुं मुज जीव ॥ सु० ॥ सु०॥ गाइश ढुं गुण ताह रा रे ॥ सुं० ॥ जीवित सुधी सदीव ॥ सु॥२॥ ॥सु०॥ दूधे नरीश तुज पेटने रे ॥सु ॥ देश क हीश ते लांच ॥सु॥सु० ॥ जे ढुं बोलुं ते सही रे। सु०॥ मानजे करीने साच ॥ सु॥३॥९॥ हुँ कर जोडी वीन रे ॥ सु० ॥ सांजल माहरी वात ॥ सु०॥सु०॥ सघला पंखीमें कही रे ॥सु॥ नत्तम ताहरी जात ॥ सु॥४॥ सु० ॥ सदु पंखी शिरसेहरो रे ॥ सु॥ तुं छे चतुर सुजाण ॥ सु॥ ॥ सु०॥ रूपें तुं रलियामणो रे ॥सु०॥ मीठी ता हरी वाण ॥ सु० ॥ ५॥ सु० ॥ लीली ताहरी पांख डी रे ॥ सु०॥ चांच राती तुज चंग ॥ सु॥सु०॥ रूडी ताहरी आंखडी रे ॥ सु० ॥ राती केशू रंग ॥ ॥सु॥ ६ ॥ सु॥ सोने मढावं चांचडी रे ॥सु॥ दूधे पखालुं पंख ॥ सु०॥ सु०॥ दार तवं गले मो तीनो रे ॥ सु ॥ लाख टकानो अटंक ॥सुगा ॥ ॥ सु०॥ विरहिणी नारी तुं देखीने रे ॥ सु०॥ दया धरे मनमाहे ॥ सु० ॥ सु०॥ संदेशो मुज नाहने रे॥ सु० ॥ तुं जश् कहेजे उबांहे ॥९॥ ॥सु०॥ मानिश तुज उपगारडो रे ॥ सु०॥ थाइश नही गुण Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003681
Book TitleHaribal Macchino Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1889
Total Pages294
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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