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________________ (যয) नव नवा ख्याल, हास्य कुतूहल नही मणा ॥ ६ ॥ स०॥ जोतो इणि परें नगरी मजार, हरिबल यागन संचरे ॥ स० ॥ दीतुं तव एक तेज जंमार, सुंदर मं दिर नलि परें ॥ ७ ॥ स० ॥ सोहे सुंदर पोल प्रकार, रमलिक दृष्टें देखे सही ॥ स० ॥ पण देखे ते शून्य खागार, माणस को दीसे नही ॥८॥ स०॥ ए तो तव तिहां चरिज देखि, पेगेहे मंदिर पोलमें ॥ स ० ॥ नखां निरखे रयण विशेष, जरा जेरी उनमें ॥॥ास ॥ इम जो तो सातमी चूमि, हरिबल चढीयो चूपशुं ॥ स ० ॥ जाये स्वर्गविमाननी भूमि, रचना ते दीठी रूपचं ॥ १०॥ ॥ स० ॥ तिहां निरखे अचरिज एक, हिंमोला खाट सोहामणी ॥ स० ॥ तेह उपर सूती विवेक, सुंदर स्त्री रजियामणी ॥ ११ ॥ स० ॥ जाणे देही कुंकुम वर्ण, अप्सर सम करी उपती ॥ स० ॥ पण दीसे तें मृतक समान, चेतन रहित ते कोनती ॥ १२ ॥ स० ॥ चिंते हरिबल निरखि रे तास, विस्मय पाम्यो मन्नमें ॥ स० ॥ एसो दीसे देव अन्यास, सास नही ए तन्नमें ॥ १३ ॥ स० ॥ इम चिंतवी धीवर धिंग, खरहूं पर डुं विजोकतां ॥ स० ॥ दीवी तुंबडी जल नरी चंग, खाट तजे नही ढोकतां ॥ १४ ॥ स० ॥ तिणें तुंबीनुं Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003681
Book TitleHaribal Macchino Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1889
Total Pages294
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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