SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 102
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( १०० ) जल लेय, बांटयुं स्त्रोतन कपरें ॥ स०॥ कठी ततखि एए लऊ धरेय, हिंमोला खाटथी सूपरें ॥ १५॥ स०॥ मी चिंतवे चित्त मऊार, ए शुं कौतुक नीपनुं ॥ स०॥ ए तो थs नवजोबन नारि, मनोहर ज्युं तेज दीपनुं ॥ १६ ॥ स० ॥ दीसे रंजा उर्वशी रूप, कामिनी काम जगावती ॥ स० ॥ मोहे सुर नर किन्नर नूप, कामी जन मन जावती ॥ १७ ॥ स० ॥ इम चिरज लहिने तास, पूढे हरिबल उनासी ॥ स० ॥ किम रहे तुं शून्य यावास, एकली शबपणें वसी ॥ ॥ १८ ॥ स० ॥ किहां गया तुम सयण संबंध, मात पितादिक ताहरां ॥ स० ॥ तव कहे अबला प्रबंध, सांगलो पंथी माहरा ॥ १९ ॥ स० ॥ नलें याव्या तुम इहां स्वामि, उपगारी दीसो जला ॥ सोय नारी जणे ॥ बेसो यासन्न गुन ताम, कहुं तुमने सघली कला ॥२०॥ तो ० ॥ इहां राय बिभीषण सार, राज करे लंका धणी ॥ सो०॥ वाडी बे तस वृद्ध श्रीकार, वल्लन ते नृप ने घणी ॥ २१ ॥ सो० ॥ तेह वाडीनो ए रखवाल, नीम नामें आरामी अबे || सो० ॥ हुं हुं तेहनी पुत्री जी बाल, कुसुमसिरी मुऊ नाम बे ॥ २२ ॥ सो० ॥ जब हुँ थई जोबनवेश, तब मुफ जनक चिंता करे ॥ सो० ॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003681
Book TitleHaribal Macchino Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1889
Total Pages294
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy