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(१२) अपनी गति पकरेंगे। नासी जासी दम थिर वासी, चोखे व्द निखरेंगे॥०॥३॥ मयो अनंत वार बिन समज्यो, अब सुख उःख विसरेंगे॥ आनंदघन निपट निकट अदर दो,नहींसमरे सोमरेंगे॥ ॥
॥पदतालीशमुंराग टोमी॥ मेरी तुंमेरीतुंकाहीं डरेरी।मे। कहे चेतन समता सुनी आखर,
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