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(७१) ॥ पद बेंतालीशमुं॥ रागसारंगअथवाशावरी॥ अब हम अमर नये न मरेंगे।
अब० ॥ या कारन मिथ्यात दीयो तज, क्युं कर देद धरेंगे॥०॥२॥ राग दोस जग बंध करत है, इनको नाश करेंगे॥ मयो अनंत कालतें प्रानी, सो हम काल हरेंगे॥ ॥॥ देह विनाशी हूं अविनाशी,
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