________________
(६५) औरहनो कहा कहावत और, नांदि न कीनी चोरी हो॥ काल कम्यो सो नाचत निवदे, और चाचर चरं फोरी दो
॥म ॥४॥ ज्ञानसिंधू मथित पाइ, प्रेमपीयूष कटोरी दो॥ मोदत आनंदघनप्रनुशशिधर, देखत दृष्टि चकोरी दो॥माया
WED.
Jain Educationa Interati@ersonal and Private
[email protected]