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(६६) ॥पद उंगणचालीशमुं॥
॥राग जयजयवंती॥ तरसकीजद को दश्की सवारीरी, तीक्षण कटाद बटा लागत कटारीरी॥तरण। सायक लायक नायक प्रानको पदारीरी, काजर काज न लाज बाज न कहूं वारीरी॥तर॥२॥ मोदनीमोदन ठग्यो जगत - गारीरी, दीजीये आनंदघन दाह हमारीरी ॥ तर॥३॥
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