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(एए) सजि सणगार बनाये नूखन, गश्तबसूनीसेजा।करे॥१॥ विरहव्यथा कबु ऐसी व्यापती, मानुं को मारती बेजा। अंतक अंत कदालुं लेगो प्यारे, चाहे जीव तुं ले जाकरे॥॥ कोकिल काम चं चूतादिक, चेतन मत है जेजा ॥ नवल नागर आनंदघन प्यारे, आक्ष अमित सुख दे जा॥
करे ॥३॥
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