________________
(६०) ॥ पदबत्रीशमुं॥
॥राग मालसिरि॥ वारे नाद संग मेरो, युंदी जोवन जाय॥ ए दिन हसन खेलनके सजनी, रोते रेन विदाय ॥ वारे ॥१॥ नग नूषणसे जरी जातरी, मोतन कबु न सुदाय॥ श्क बुझ जीयमें ऐसीआवत है, लीजेरी विष खाय ॥ वारे॥२॥ ना सोवत दे खेत उसास न,
Jain Educationa Interratibeasonal and Private Usevanky.jainelibrary.org