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मैरो और विच अंतर एतो, जैतो रूपें रंग ॥ दे० ॥ २ ॥ तनु सुध खोय घूमत मन ऐसें, मानुं कबुक खाइ जंग ॥ एते पर आनंदघन नावत, और कहा कोन दीजें संग ॥ दे० ॥ ३ ॥
॥ पद पांत्रीशभुं ॥
॥ राग दीपक अथवा कान्दरी ॥ करे जारे जारे जारे जा ॥ करे ० ॥
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