________________
(५६)
फिरूं सब सुधबुध खोय॥ तन मनकी कबहु लहुँ प्यारे, किसे दिखा रोय ॥ मि ॥२॥ निसि अंधारी मुदि इसे रे, तारे दांत दिखाय॥ नादो कादो में कीयो प्यारे, असुअन धार वदायामि॥३॥ चित्त चातक पीन पीन करे रे, प्रणमे दो कर पीस ॥ अबलाशुं जोरावरी प्यारे, एतीन कीजे रीस ॥ मि॥४॥
Jain Educationa Interratibeasonal and Private Usevanky.jainelibrary.org