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गुन अवगुन न विचारो आनंदघन, कीजीयें तुम तैसें । नि | ३ |
॥ पद तेत्री शमुं ॥ राग गोडी ॥ मिलापीयान मिलावो रे, मेरे अनुभव मीठडे मित्त॥मि०॥ चातक पीज पीन रटे रे, पीन मिलाव न यान ॥ जीव पीवन पीन पीठ करे प्यारे, जीन नीन यान ए आन। मि०१ दुखीयारी निसदिन रहुं रे,
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