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अनुभव चंद सुनाइ ॥ कालकूट तजी नाव
श्रेणी,
आप अमृत ले आइ ॥ सा० ॥३॥ लोचन चरन सदस चतुरानन, इनतें बहुत डराइ ॥ आनंदघन पुरुषोत्तम नायक, दित करी कंठ लगाइ ॥ सा ॥४॥
॥ पद एकत्रीशमं ॥ श्रीराग ॥ कित जांनमतें दो प्राननाथ, इत च्याय निदारो घरको साथ ॥
कित० ॥ १ ॥
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