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(५१) अवधू ममता संग न कीजें॥
सा॥ ए आंकणी॥ संपत्ति नांहि नांहि ममतामें, ममतामां मिस मेटे॥ खाट पाट तजी लाख खटान, अंत खाखमें लेटेसा ॥१॥ धन धरतीमें गाडे बोरे, धूर आप मुख ल्यावे॥ मूषक साप होवेगो आखर, तातें अलविकदावे॥साशा समता रतनागरकी जा,
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