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नहीं ढम बाप न बेटा ॥ ० ॥२॥ नहीं हम मनसा नहीं दम शब्दा, नहीं ढम तरणकी धरणी ॥ नदीं दम नेख, नेखधर नांदी, नहीं हम करता करण | प्र० । ३ ॥ नहीं हम दरसन नहीं हम परसन, रस न गंध कबु नांदी ॥ आनंदघन चेतनमय मूरति, सेवकजन बली जाई ॥ प्र०॥४॥
॥ पद त्रीशमुं ॥ राग आशावरी ॥ साधो जाइ समता रंग रमीजें,
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