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(४९)
अवधू नाम दमारा राखे, सो परम महा रस चाखे ॥
० ॥ ए की ॥
नदीं दम पुरुषा नहीं दम नारी, वरन न जात हमारी ॥ जाति न पांति न साधन साधक, नहीं दम लघु नहीं जारी ॥
अ० ॥ १ ॥
नहीं दम ताते नहीं दम सीरे, नहीं दीर्घ नहीं बोटा | नहीं दम जाइ नहीं हम जगिनी,
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