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॥ पद चोवीशसुं ॥ राग रामग्री ॥ मुने महारो कब मिलसे मनमेलू ॥ मु० ॥
मनमेलु विण केलि न कलीए, वाले कवल कोइ वेलू ॥ १ ॥ आप मिल्यायो अंतर राखे, सुमनुष्य नदीं ते लेलू | आनंदघन प्रभु मन मलीया वि को नवि विलगे चेलू ॥
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॥ पद पचीशमुं ॥ राग रामग्री ॥ क्यारे मुने मिलशे माहारो संत
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