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देढबकाय न बागमें मीयां, किस पर ममता एती॥॥॥ अनुभव रसमें रोग न सोगा, लोकवाद सब मेटा ॥ केवलअचल अनादिअबाधित, शिव शंकरका नेटा ॥ अ॥३॥ वर्षा बुंद समु समानी, खबर न पावे को॥ आनंदघन व्दै ज्योति समावे, अलख कदावे सो॥ ॥॥
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