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( ३७ )
॥ पद त्रेवीशमं ॥ ॥ राग आशावरी ॥
प्रवधू अनुभवकलिका जागी, मति मेरी प्रातम समरन लागी ॥ ० ॥ ए कणी ॥ जाये न कबहु र ढिग नेरी, तेरी विनता वेरी ॥ माया चेरी कुटुंब कर दाथे,
एक डेढ दिन घेरी ॥ अ०॥१॥ जरा जनम मरन वस सारी, असर न झुनिया जेती ॥
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