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रूपी कहुं तो कबु नहीं रे, बंधे कैसे रूप || रूपारूपी जो कहुं प्यारे, ऐसे न सिधनुप ॥ निशा०|१| शुद्ध सनातन जो कहुं रे, बंध न मोक्ष विचार ॥
न घटे संसारी दशा प्यारे, पुण्य पाप अवतार ॥ निशा ० | २ | सिन्ध सनातन जो कहुं रे, उपजे विनसे कौन || उपजे विनसे जो कहुं प्यारे,
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