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(१) आप बनाए हितकर ॥ जैसा दाव परे पासेका, सारी चलावेखीलकरप्राशा पांच तलें है दूआ नाइ, बक्का तलें है एका ॥ सब मिल होत बराबर लेखा, यह विवेक गिनवेका॥प्राण॥३॥ चनराशी माचे फिरे नीली, स्याद न तोरी जोरी॥ लाल जरद फिरे आवे घरमें, कबहुक जोरी विगेरी॥प्राणा
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