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नाव विवेकके पाठ न यावत, तब लग काची बाजी ॥ आनंदघन प्रभु पान देखावत, तो जीते जीय गाजी ॥ प्राणाय॥
॥ पद तेरमुं ॥ राग सारंग ॥ अनुभव हम तो रावरी दासी
॥ अनु० ॥
आइ कदांतें माया ममता, जानुं न कदांकी वास ॥ अनु०।१। रीज परें वाके संग चेतन,
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