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(१ए) एकतारी चोरी पहिरीरी॥ सत्ता थलमें मोद विदारत, ऐ ऐ सुरिजन मुद निसरीरी॥
.. आतम० ॥३॥ केवल कमला अपबर सुंदर, गान करे रस रंग भरीरी॥ जीत निशान बजाइ विराजे, आनंदघन सर्वग धरीरी॥
आतम० ॥३॥
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