________________
( १७ )
और कहा कोन डुंड बजावे
॥ परम० ॥ ३ ॥
गीरमुं ॥
॥ पद | राग मालकोश वेलावल, टोड || आतम अनुभव रीति वरीरी ॥ आ० ॥ एकणी ॥
मोर बनाए निजरूप निरुपम, तिचन रुचिकर तेग धरीरी ॥
आतम० ॥ १ ॥
टोप सन्नाद शूरको बानो,
Jain Educationa InternatiBeasonal and Private Usevenly.jainelibrary.org