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(३५३) घणो । अवतार क्रतार क्रिपा पर साहिब सेवक जाणीए ने अपणो ॥१७॥अरदेव सुदेव करे नर सवे सेव फुःख दोहग दूर करे। उपदेश धनाधन नीरजरे नवि मान समानस नूरितरे । सुदर्शन नाम नरेसर अंगज जव्यमने प्रनु जास वसे । तस संकत सोग वियोग योगदरिज कुसंगति न आवत पासे ॥१॥नील कीर वरवी नील मांगवलि पत्र नील तरुवर राजि नील नील नीलाख हे। काचको सुगोल नील इंधनील रत्ननील पत्रनील चास हे॥जमुना प्रवाह नील बंगराज पंखी नील जेहवो असोक रुख नील रंग हे । कहे नय तेम नील रागथे अतिव नील महिनाथ देवनील जाको अंग नील हे॥१॥ सुमित्र नरिंद तणो वरनंद सुचंज वदन
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