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सुमति संग पद्म केरो जाए हे ॥ ६ ॥ जिद सुपास तथा गुण रास गावे जवि जास आणंद घणे । गमे नवि पास महिमा निवास पूरे सवि स कुमति हो || चिहुं दिसे वास सुगंध सुखास उसास निःसास जिनेंद्र तणो | कहे नय खास मुनींद्र सुपास तो जस वास सदैव जो ॥ ७ ॥ चंद्र चंद्रिका समान रूप सेलसे समान दोढसो धनुषमान देहको प्रमाण हे | चंद्रप्रभु स्वामी नाम लीजीये प्रजात जाम पामीये सुख गम गम गामज समान हे ॥ महासेन चंग जात लक्ष्मणानिधान मात जगमां सुवास वात चिहुं दिसे यात हे | कहे नय बोमी तात ध्याइये जो दिनरात पामीये तो सुख सात दुःखको मी जात हे ॥ ८ ॥
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