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क्षण मांदे दो नवि पावे तेढ
॥ अ० ॥ ५ ॥
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|| पद पांस ॥ निर्मल होई जज ले प्रभु प्यारा ॥ ए देशी ॥
|| लाग्या नेढ जिनचरण हमारा, जिम चकोर चित्त चंद पीयारा ॥ सुनत कुरंग नाद मन लाई, प्राण तजे पण प्रेम निनाई ॥ घन तज प्रानन जावत जोई,
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