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( ३२३ )
जिम पालटे दो वस्तुनो रंग
॥ ० ॥ ३ ॥
ध्येय रूपनी एकता, करे ध्यातां दो धरे ध्यान सुजान ॥ करे कतक मल भिन्नता, जिम नासे दो तम उगते जान
॥ अ० ॥ ४ ॥
पुष्टालंबन योगथी, निरालंबता दो सुख साधन जेद ॥ चिदानंद अविचल कला,
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