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(३५) सुरनीसमहोलहीतास विज्ञान
॥ ०॥१॥ कीट ध्यान मुंगी तणो, निज धरतां होते मुंगी निदान॥
अकल धौत स्वरूपता, लोह फरसत हो पारस पाखान
॥ ०॥३॥ पीचुमंदादिक सही, होय चंदन हो मलयागरु संग॥ सैंधव क्यारिमें पड्या,
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