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(३०३) ते सहु गनो नहीं कोन मोथी, काहेकूप्रगट कहावो।साहे चिदानंद सुमताके वचन सुन,
ज्यो दे हरख वधावो॥ तुम मंदिर आवत प्रनु प्यारी, करीये न मन परतावो॥
सादे ॥५॥ ॥पद चोपनमुं॥राग सोरठ॥
गढ गिरनार रूमो लागेजी, थांको गढ गिरनार ॥
ए आकणी॥
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