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(३०५) दमकू त्याग पिया शोक्य सदन तुम, बिना बोलाए जावो ॥ जा कारनदी मेर नहीं आवत, ते कोउ चूक दिखावो॥
सादे॥२॥ कुमताकुटिलकेबस श्म सादेव, कादेवू लोक हसावो ॥ तुमकू कवन शीखावे तुम तो,
औरनकू समजावो।सादे॥३॥ वाके वसवरति तुम नायक, जे जे विध फुःख पावो॥
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