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( ३०१ )
नीको बन्यो दे समाज ॥ दीना० ॥ ५ ॥
॥ पद त्रेपनमुं ॥ राग सोरठ ॥ ॥ आवो जी राज आवो जी राज, साढ़ेबा थें मदारे मोलें प्रावोजी राज ॥ एकणी ॥
सीस नमाय कर जोड कहतहुँ, जरतेकों न जरावो ॥
दस दस नाथ जरे पर अब तुम, कादेकूं लौंन लगावो ॥ सादे० ॥ १ ॥
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