________________
(२५७) गि मुक्ति कहा सोवो ॥ ___अवधू॥ ए आंकणी॥ मोह निंद सोवत तूं खोया, सरवस माल अपाणा ॥ पांच चोर अजहुँ तोय खूटत, तास मरम नहीं जाण्या ॥
अवधू ॥१॥ मली चार चंडाल चोकमी, मंत्री नाम धराया ॥ पाई केफ पीयाला तोदे,
Jain Educationa Interatibosonal and Private Usevanky.jainelibrary.org