________________
(२५) तिनमें नये अनेक नेद ते, अपणी अपणी ताणे॥
मा० ॥४॥ नय सरवंग साधना जामें, ते सरवंग कहावे॥ चिदानंद ऐसा जिन मारग, खोजी होय सो पावे॥माया
॥ पद चोत्रीशमुं॥
॥राग आशावरी ॥ ॥अवधू खोलीनयन अब जोवो,
Jain Educationa Interati@ersonal and Private Usev@mw.jainelibrary.org