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(२३५) तनावकी टेव अनादि, बिनमें ताकुं आज दही री॥
अ०॥ ॥ विरदव्यथाव्यापतनहीं आली, प्रेम धरी पियु अंक ग्रदी री ॥ चिदानंद चूके किम चातुर, ऐसो अवसर सार खदी री॥
अ०॥३॥
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॥पद पचीशमुं॥राग टोडी॥ ॥प्रीतम प्रीतम प्रीतम प्रीतम,
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