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( २१४ )
गति मति कोन विरले जन पाइ री ॥ जू० ॥ ४ ॥
॥ पद चौदमुं ॥ राग विनास ॥ || देखो जवि जिनजी के जुग, चरन कमल नीके || देखो ० ॥
ए प्रकणी ॥
जिम उदयाचल उदय नयोरबि, तिम नख माननके॥ देखो ० ॥ १ ॥ नीलोत्पल समशोन चरण बबि, रिष्ट रतनहू के || देखो० ॥ २ ॥
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