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( १९७१ )
सुमताकी अरदास || निज घर घरणी जाणके प्यारे, 'सफल करी मनास ॥पिया ०५
॥ पद त्रीजुं ॥ राग मारु ॥ ॥ सुप्पा आप विचारो रे, पर पख नेद निवार ॥ सु० ॥
ए की ॥
पर परणीत पुल दिसा रे, तामें निज निमान ॥ धारत जीव एदी कह्यो प्यारे,
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