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बंधहेतु नगवान ॥सु० ॥१॥ कनक उपलमें नित्य रहे रे, दुध मांदे फुनी घीव ॥ तिल संगतेलसुवासकुसुमसंग, देद संग तेम जीव॥सु॥२॥ रदत हुताशन काष्ठमें रे, प्रगट कारण पाय ॥ सदी कारण कारजता प्यारे, सहेजें सिध्थिाय ॥ सु०॥३॥ खीर नीरकी निन्नता रे, जैसे करत मराल॥
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