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जे जन परघर जाय॥ तिणकुं उन्नय लोक सुण प्यारे, रंचक शोना नांय॥पिया॥१॥ कुमतासंगें तुम रदे रे, आगुंकाल अनाद॥ तामें मोद दिखा बहु प्यारे, कदा निकल्यो स्वाद ॥ पिया।
॥ ॥ लगत पिया कदो मादारो रे, अशुल तुमारे चित्त ॥ पण मोथी न रहाय रे प्यारे,
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