________________
(१५) दिन बडे नये बैरागनाव, मिथ्यामति रजनीको घटाव ॥
तु०॥॥ बहु फूली फेली सुरुचि वेल, ग्याताजनसमतासंगकेलातु०३ द्यानत बानी पिक मधुर रूप, सुर नर पशुआनंदघन सरूप ॥
तु॥४॥ ॥इति श्रीआनंदघनजी कृत
बहोतेरी संपूर्ण ॥
Jain Educationa Internati@essonal and Private Usevenly.jainelibrary.org