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डुष्ट ङःकाल न योग दो ॥ वसे ॥ ईति नीति व्यापे नहीं, आनंदघन पद जोग दो ॥ वसे० ॥ ५ ॥
॥पद चोराशीमुं ॥ इमन राग ॥ ॥ लागी लगन हमारी, जिनराज सुजस सुन्यो में ॥
ला० ॥ टेक ॥
काढूके कदे कबहूं नदि बूटे,
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