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तेरी दाम न दोत दलकमें ॥ प्र० ॥ २ ॥
॥ पद त्र्याशीमुं ॥ राग मारु ॥ ॥ निःस्पृढ देश सोदामणो, निर्णय नगर उदार दो ॥ वसे अंतरजामी ॥ निर्मल मन मंत्री वडो, राजा वस्तुविचार दो ॥ वसे ॥१॥ केवल कमलागार हो, सुण सुण शिवगामी केवल कमलानाथ दो,
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