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कुत्सित साख विशेष पाय, परम सुधारस वारि जाय ॥
या० ॥ २ ॥
जीया गुन जानो और नांदी, गले पडेंगी पलक मांदिया ०१३ | रखा बेदे वादी ताम,
पढीयें मीठी सुगुणधामाया ०|४| ते प्रागें अधिकेरी तादी, आनंदघन अधिकेरी चादी ॥
या० ॥ ५ ॥
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