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( १३१ )
||पद पंचोतेरमुं ॥ राग वसंत ॥ || लालन बिन मेरो कुन दवाल, समजेन घटकी निठुर लाल
॥ सा० ॥ १ ॥
वीर विवेक जुं मांजि मांयि, कदा पेट दई आगें बिपाई
॥ सा० २ ॥
तुम जावे जो सो कीजें वीर, सोइ खान मिलावो लालन धीर ॥ सा० ॥ ३ ॥
अमरे करे न जात यध,
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